स्वस्थ रहने के अन्य तरीके||Health Tips

 इस लेख में स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी दी गई है.जोकि आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी.

1. तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए कितना प्रभावशाली है त्रिकोणासन

  • पैरों, घुटनों, टखनों (ankles), भुजाओं और छाती को शक्ति प्रदान करता है।
  • रक्तचाप, तनाव और अवसाद में कमी लाता है।
  • कूल्हे (hips) की मांसपेशियों, कॉफ, हैमस्ट्रिंग तथा अन्य मांसपेशियों में लचक पैदा करता है ।
  • मन को शांत कर एकाग्रता बढ़ाता है.
  • पाचन में सुधार लाता है।

2. इंसुलिन रेजिस्टेंस का जोखिम किन लोगों में ज़्यादा है ?

इंसुलिन रेजिस्टेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपका शरीर ऊर्जा के लिए आवश्यक ग्लूकोज़ का प्रभावी रूप से उपयोग नहीं कर पाता। इस अवस्था से निपटने के लिए पैंक्रियाज इंसुलिन नामक हार्मोन का उत्पादन बढ़ा देता है। इंसुलिन का कार्य ग्लूकोज़ को ऊर्जा प्राप्ति के लिए कोशिकाओं में पहुंचाना है।

इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण होने वाले जोखिमों को जानें

वज़न अधिक होना

  • पेट पर अतिरिक्त चर्बी
  • निष्क्रिय जीवनशैली
  • हाई ब्लड शुगर
  • ट्राइग्लिसराइड का बढ़ना
  • एल डी एल (खराब कोलेस्ट्रॉल) की अधिकता • एच डी एल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) की कमी
  • उच्च रक्तचाप
  • गर्दन, कांख,जांघ इत्यादि की त्वचा का मोटा हो जाना

3. क्या आपको सोशल मीडिया एडिक्शन है ?

  • आप सुबह उठने के बाद सबसे पहले नोटिफिकेशन देखते हैं
  • आप अपना मोबाइल बेडरूम में ले जाते हैं और नींद न आने तक उस पर उंगलियां फिराते हैं
  • थकान महसूस करते हैं आप प्रायः मोबाइल को देखने की आदत से ग्रसित हो चुके हैं यदि आपकी पोस्ट की सराहना न की
  • अपने पोस्ट पर लाइक और कमेंट देख कर आपको ऊर्जा मिलती है।
  • आपको कभी भी सिरदर्द होता है चिड़िचिड़ापन और क्रोध दिखाते हैं
  • आपका प्रदर्शन दिन ब दिन गिर रहा है
  • आप डिप्रेस हो जाते हैं आप समाज से कटे जा रहे हैं

यदि आप 5 या उससे अधिक लक्षणों पर चिह्न लगाते हैं तो अत्यधिक संभावना है कि आपको सोशल मीडिया एडिक्शन है।

सोशल मीडिया एडिक्शन से मुक्त हों !!

क्या आप सोशल मीडिलगा चुके है ? आप सदैव नोटिफिकेशन देखने को “आप सोशल मीडिया पर घट रही घटनाओं पर नज़र रखने के लिए उत्सुक रहते हैं।

सुबह नींद खुलने के बाद आपका पहला काम मोबाइल को उठाना होता है। वही मोबाइल आपको रात भर जगाए रखता है। आप नकारात्मक समाचार तथा वीडियो की तरंगों को झेलते हैं जो आपकोभटकाती रहती हैं। आपकी उत्पादन क्षमता बहुत बुरी तरह से प्रभावित होती है। चिंता, अवसाद और अनिद्रा से आप परेशान रहने लगते हैं।

सोशल मीडिया डिटॉक्स का अभ्यास कीजिए। सोशल मीडिया के हर पहलू से एक लंबी छुट्टी लेने की कोशिश कीजिए।
यदि यह आपको असंभव लगता है तो सोशल मीडिया पर कम से कम समय बिताएं।
'साइबर साइकोलॉजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किंग'में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार एक सप्ताह के लिए सोशल मीडिया से दूर रहना प्रभावी 
रूप से चिंता,अवसाद और समग्र मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।

4. जोड़ों के दर्द के मरीज़ इन 7 टिप्स का अनुसरण करें

  • सुबह सूर्य के प्रकाश में रहें
  • हल्के-फुल्के व्यायाम करें
  • एयर कंडीशन का उपयोग यथासंभव कम करें
  • मौसमी ताज़े फल व सब्ज़ियां खाएं दूध व उससे निर्मित उत्पाद जैसे पनीर, छाछ इत्यादि लें
  • फ्रोजेन फूड या ठंडी तासीर वाले आहार से परहेज़ करें शरीर को पूरा ढंक कर रखे व गर्म कपड़े पहनें.

प्राकृतिक चिकित्सा जोड़ों के दर्द के लिए अत्यंत प्रभावी हो सकती है क्योंकि यह मूल कारणों को लक्ष्य करती है,वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।

आज कल के बच्चे काफी होशियार और विद्रोही प्रकृति के हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि माता-पिता को वैज्ञानिकों के जैसा दिमाग और संतों की तरह धैर्य रखने की आवश्यकता है। हम अपने बच्चों को गुमराह नहीं होने दे सकते। हमें उन्हें सुधारने की ज़रूरत है। इन तीन नियमों (3C) का पालन उपयोगी हो सकता है…..

  • जुड़िये (Connect) : बच्चों के साथ अपना अंदाज़ चुलबुला रखें। बिना चिड़चिड़ेपन के, धैर्य के साथ उनकी कहानियां व बातें सुनें। अपने बच्चे के साथ घुल मिल जाएं।
  • देख-रेख करें (Care) : बच्चों से प्रेम करें और मोबाइल व टी.वी से चिपकने के बजाए उनके साथ समय बिताएं। अपने बच्चों के प्रति ईमानदारी रखें तथा उनके प्रेरणा स्रोत बनें।
  • संशोधन करें (Correct ) : जुड़ने और देख-भाल करने के बाद बच्चा आपको अपने पथप्रदर्शक के तौर पर देखता है एवं आपकी सलाह मानना शुरू कर देता है। अब आप उनके नखरों को रोक सकते हैं तथा थोड़े प्रतिरोध से ही उनकी गलतियों को सुधार सकते हैं।

5. अत्यधिक सोच से अपने दिमाग को मुक्त करें !!

सोचना एक वास्तविक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है जो हमें निर्णय लेने, नई खोज करने में हमारी मदद करता है। जैसे किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती, वैसे अधिक सोचना भी ठीक नहीं। अधिक सोचने की प्रवृत्ति पर आप कैसे रोक लगाएंगे ?

निम्न नियमो का अनुसरण करें, अपने 20% अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को प्राथमिकता दें और 80% परिणाम के लिए इसे पहले करें।

  • अतीत में रहना छोड़ दें।
  • सचेत रहें एवं वर्तमान में जिएं।
  •  कड़ी मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
  •  अपने जीवन में आशावादिता लाएं।
  • समाधान पर केंद्रित करें तथा सकारात्मक नतीजों के बारे में सोचें।
  • सकारात्मक स्वचर्चा द्वारा आत्म पुष्टि का अभ्यास करें।
  •  प्रकृति के सानिध्य में टहलें और सामान्य व्यायाम करें।
  • पढ़ने का अभ्यास डालें एवं रोज़ाना खुद को बेहतर बनाएं।

6. स्वयं नियंत्रित करने के सरल उपाय !!

क्या आपको चिंता करने की आदत पड़ गयी है ? क्या आप बार-बार चिंतित हो जाते हैं ? क्या अक्सर घबराहट आपसे आपका सुकून छीन लेती है ? यदि आपका जवाब हां है तो इन सहज टिप्स को मानें…..

  • हमेशा पॉजिटिव सोच रखें
  • प्रायः गहरी सांस लें
  • सचेत रहने का प्रयत्न करें
  • सोशल मीडिया पर समय न गंवाएं
  • परिवारजनों के साथ डिनर करे
  • अपने लिए थोड़ा समय निकालें
  • कोई शौक (हॉबी) अपनाएं
  • नियमित व्यायाम करने का नियम बनाएं कृतज्ञ रहें और चेहरे को हंसमुखबनाए रखें
  • सुबह सूर्य के प्रकाश में टहलना न भूलें.

7. भावनात्मक रूप से टूटने से बचने के लिए आपका सुरक्षा कवच क्या है ?

कभी-कभी व्यक्ति अपनी आवेगपूर्ण भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए बहुत संघर्ष करता है। भावनाओं का यह चक्र काफी समस्याएं उत्पन्न करता है। क्या आप भी इस तकलीफदेह परिस्थिति से बाहर निकलने को इच्छुक हैं ?

भावनात्मक रूप से टूटने से खुद को बचाएं

  • सकारात्मक सोच की आदत बनाएं
  • परेशान हों तो गहरी सांस लें
  • खुद से उन्नति से जुड़ी बातें करें जैसे कि आप अपनी समस्या से बड़े हैं
  • अपने विशिष्ट होने पर गर्व करें , उन लोगों से मानसिक तौर पर दूरी रखें, जो आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं.
  • ऐसे सामाजिक लोगों से जुड़ें, जोआपकी फिक्र करते हों.
  • उद्देश्यपूर्ण जीवन जिएं एवंसामाजिक गतिविधियों में भाग लें
  • हमेशा सीखने को तत्पर रहें .
  • सुबह सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी प्राप्त करने के लिए टहलें
  • परिवार के साथ डिनर करने की कोशिश करें

8. ब्रोकेन हार्ट सिन्ड्रोम में सुधार कैसे लाएं ?

ब्रोकेन हार्ट सिन्ड्रोम एक ऐसी स्थिति है जब हम किसी गंभीर मानसिक स्थिति, तनाव या प्रेम में असफलता का सामना नहीं कर पाते। यह सत्य है कि बिना प्रेम और देख-भाल वाले संबंध के मनुष्य संतुष्ट जीवन जीने में असफल हो जाता है। उसके पास मौजूद सारी सुविधाएं व्यर्थ हो जाती हैं। जब आप अपने प्रियतम के प्रति स्नेह दर्शाते हैं, स्पर्श या प्रेम करते हैं तो आपका शरीर ऑक्सिटोसिन जिसे लव हार्मोन भी कहा जाता है, उसका स्राव करता है। ऑक्सिटोसिन प्रदाह को कम कर एवं फ्री रेडिकल्स को नष्ट कर हृदय की मांसपेशियों की मरम्मत में मदद करता है। ऑक्सिटोसिन ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को कम कर हृदय की रक्षा कर सकता है।

चरम भावावेश या विनाशकारी परिस्थितियों की प्रतिक्रिया स्वरूप ब्रोकेन हार्ट सिन्ड्रोम की उत्पत्ति होती है। इन घटनाओं के पीछे असफल रिश्ते, प्रियजन का वियोग या अपने नज़दीकी लोगों से तर्कपूर्ण बहस हो सकती है।

क्यों बढ़ रहा है ब्रोकेन हार्ट सिन्ड्रोम ? लंबे समय से जारी अत्यधिक दुख या तनाव हृदय में निम्न परिवर्तन लाते हैं…

  • हृदय की दीवारों को कमज़ोर बनाना
  • हृदय की मांसपेशियों को क्षतिग्रस्त करना
  • बाएं वेन्ट्रिकल का आकार ऑक्टोपस ट्रैप (टाकोट्सुबो) के जैसा हो जाता है, अतः ब्रोकेन हार्ट सिन्ड्रोम को टाकोट्सुबो सिन्ड्रोम भी कहते हैं।

9. स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम के आश्चर्यजनक फायदे

  • हृदय के स्वास्थ्य में सुधार लाता है
  • मेटाबोलिज्म बढ़ा कर वज़न नियंत्रित रखता है
  • व्यायाम इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा कर डायबिटीस को नियंत्रित करता है
  • परिसंचरण, कोलाजेन के उत्पादन तथा टॉक्सिन को बाहर निकाल करयह त्वचा को स्वस्थ रखता है
  • आंतरिक बल एवं यौनेच्छा को बढ़ाता है
  • अच्छी नींद लाता है
  • नियमित व्यायाम से ऑटोफेजी सक्रिय हो जाती है जो कैंसर के जोखिम को कम करती है
  • याददाश्त में सुधार ला सकता है

10. ऑटोफेजी को सक्रिय बनाएं बीमारियां रहेंगी दूर !!

क्षतिग्रस्त और अस्वास्थ्यकर कोशिकाओं को शरीर के द्वारा खुद खाने की प्रक्रिया ऑटोफेजी कहलाती है। हालिया रिसर्च से साबित हुआ है कि ऑटोफेजी कैंसर सेल्स के विकास को रोक सकती है। यह कई अन्य क्रॉनिक डिज़ीज़ की संभावना को कम कर सकती है। ऑटोफेजी की प्रक्रिया को उत्तेजित करने के लिए ये निम्न कार्य करें…

  • अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर कुछ समय के लिए का अभ्यास करें।
  • रुक – रुक कर उपवास करे
  • सामान्य से अधिक व्यायाम आपको मज़बूत करता है।
  • मांसपेशियों में खिंचाव लाता है.
  • सामान्य कार्बोहाइड्रेट का सेवन, थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और हेल्दी फैट (अनसैचुरेटेड फैट) ऑटोफेजी को बढ़ावा देता है।

11. क्या हैं घुटने में दर्द की वजहें ?

घुटने हमें सक्रिय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परन्तु जब घुटनों में तकलीफ बढ़ती है और चलना-फिरना मुश्किल होने लगता है तो ज़िंदगी परेशानियों से घिर जाती है। आइये जानते है इनकी समस्या के कारण :

  • चोट- आघात
  • टेंडिनाइटिस
  • ऑस्टियोआर्थराइटिस
  • मेनिस्कल टियर
  • लिगामेंट टियर
  • रुमाटॉएड आर्थराइटिस
  • बर्साइटिस
  • गाउट

पेनकिलर्स से परहेज़ करें। प्राकृतिक चिकित्सा बिना किसी साइड इफेक्टके घुटनों के दर्द को दूर कर सकती है।

12. कैसे होंगी हड्डियां स्वस्थ और मज़बूत ?

  • अपने पोश्चर में सुधार लाएं। बैठते, खड़े रहते और चलते वक्त सीधे रहें।
  • जोड़ों की गतिशीलता बरकरार रखने के लिए रोज़ाना हल्के- फुल्के व्यायाम करें।
  • सुबह सूर्य के प्रकाश में जाएं और विटामिन डी प्राप्त करें।
  • कैल्शियम से भरपूर भोजन लें
  • कार्टिलेज की मरम्मत के लिए कोलाजेन लें उदाहरण हड्डियों का शोरबा।
  • हड्डियों को मज़बूत करने के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड से समृद्ध वस्तुएं खाएं जैसे कि फैटी फिश ।
  • प्राकृतिक विटामिन सी लें जैसे खट्टे फल (आंवला, संतरे इत्यादि)
  • अपने डायट में पनीर, स्किम्ड मिल्क, दही  अदरक, हल्दी, शामिल करें  ।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखें।

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